Friday, March 17, 2017

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के पिताश्री: महर्षि पाणिनि

महर्षि पाणिनि के बारे में  बताने  पूर्व में आज की  कंप्यूटर प्रोग्रामिंग   किस प्रकार कार्य करती है । आज की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग  भाषाएँ जैसे c, c++, java आदि में प्रोग्रामिंग हाई लेवल लैंग्वेज (high level language) में लिखे जाते है जो अंग्रेजी के सामान ही होती है इसे कंप्यूटर की गणना सम्बन्धी व्याख्या (Theory of Computation) जिसमे प्रोग्रामिंग के Syntax आदि का वर्णन होता हैके  द्वारा लो लेवल लैंग्वेज (low level language) जो विशेष प्रकार का कोड होता है जिसे mnemonic कहा जाता है जैसे जोड़ के लिए ADD, गुना के लिए MUL आदि में परिवर्तित किये जाते है | तथा इस प्रकार प्राप्त कोड को प्रोसेसर द्वारा द्विआधारी भाषा (binary language: 0101) में परिवर्तित कर क्रियान्वित किया जाता है |
इस प्रकार पूरा कंप्यूटर जगत theory of computation पर निर्भर करता है |
इसी computation पर महर्षि पाणिनि (लगभग  500 ई पू)  ने संस्कृत व्याकरण द्वारा एक पूरा ग्रन्थ रच डाला | 


महर्षि पाणिनि संस्कृत भाषा के सबसे बड़े  व्याकरण विज्ञानी थे | इनका जन्म उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। कई इतिहासकार इन्हें महर्षि पिंगल का बड़ा भाई मानते है | इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में पाणिनि का योगदान अतुलनीय माना जाता है। अष्टाध्यायी मात्र व्याकरण ग्रंथ नहीं है। इसमें प्रकारांतर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है।
इनके द्वारा भाषा के सन्दर्भ में किये गये महत्त्व पूर्ण कार्य 19वी सदी में प्रकाश में आने लगे |
 19वी सदी में यूरोप के एक भाषा विज्ञानी Franz Bopp (14 सितम्बर 1791 – 23 अक्टूबर 1867) ने श्री पाणिनि के कार्यो पर गौर फ़रमाया । उन्हें पाणिनि के लिखे हुए ग्रंथों में तथा संस्कृत व्याकरण में आधुनिक भाषा प्रणाली को और परिपक्व करने के नए मार्ग मिले  | 
इसके बाद कई संस्कृत के विदेशी चहेतों  ने उनके कार्यो में रूचि दिखाई और गहन अध्ययन किया जैसे: Ferdinand de Saussure (1857-1913), Leonard Bloomfield (1887 – 1949) तथा एक हाल ही के भाषा विज्ञानी 
Frits Staal (1930 – 2012).

तथा इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए 19वि सदी के एक जर्मन विज्ञानी Friedrich Ludwig Gottlob Frege      (8 नवम्बर 1848 – 26 जुलाई 1925 ) ने इस क्षेत्र में कई कार्य किये और इन्हें  आधुनिक जगत का प्रथम लॉजिक विज्ञानी कहा जाने लगा |

जबकि इनके जन्म से लगभग 2400 वर्ष पूर्व ही श्री पाणिनि इन सब पर एक पूरा ग्रन्थ सीना ठोक के लिख चुके थे |
अपनी ग्रामर की रचना के दोरान पाणिनि ने auxiliary symbols (सहायक प्रतीक) प्रयोग में लिएजिसकी सहायता से कई प्रत्ययों का निर्माण किया और फलस्वरूप ये ग्रामर को और सुद्रढ़ बनाने में सहायक हुए |
 इसी तकनीक का प्रयोग आधुनिक विज्ञानी Emil Post (फरवरी 11, 1897 – अप्रैल 21, 1954) ने किया और आज की समस्त  computer programming languages की नीव रखी | 
Iowa State University, अमेरिका ने पाणिनि के नाम पर एक प्रोग्रामिंग भाषा का निर्माण भी किया है जिसका  नाम ही पाणिनि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज रखा है: यहाँ देखे |

एक शताब्दी से भी पहले प्रिसद्ध जर्मन भारतिवद मैक्स मूलर (१८२३-१९००) ने अपने साइंस आफ थाट में कहा -

"
मैं निर्भीकतापूर्वक कह सकता हूँ कि अंग्रेज़ी या लैटिन या ग्रीक में ऐसी संकल्पनाएँ नगण्य हैं जिन्हें संस्कृत धातुओं से व्युत्पन्न शब्दों से अभिव्यक्त न किया जा सके । इसके विपरीत मेरा विश्वास है कि 2,50,000 शब्द सम्मिलित माने जाने वाले अंग्रेज़ी शब्दकोश की सम्पूर्ण सम्पदा के स्पष्टीकरण हेतु वांछित धातुओं की संख्या, उचित सीमाओं में न्यूनीकृत पाणिनीय धातुओं से भी कम है ।
अंग्रेज़ी में ऐसा कोई वाक्य नहीं जिसके प्रत्येक शब्द का 800 धातुओं से एवं प्रत्येक विचार का पाणिनि द्वारा प्रदत्त सामग्री के सावधानीपूर्वक वेश्लेषण के बाद अविशष्ट 121 मौलिक संकल्पनाओं से सम्बन्ध निकाला न जा सके ।"



The M L B D News letter ( A monthly of Ideological Bibliography) in April 1993,
में महर्षि पाणिनि को first software man without hardware घोषित किया है। जिसका मुख्य शीर्षक था " Sanskrit software for future hardware "
जिसमे बताया गया " प्राकृतिक भाषाओं (प्राकृतिक भाषा केवल संस्कृत ही है बाकि सब की सब मानव रचित है  ) को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए अनुकूल बनाने के तीन दशक की कोशिश करने के बाद, वैज्ञानिकों को एहसास हुआ कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में भी हम 2600 साल पहले ही पराजित हो चुके है। हालाँकि उस समय इस तथ्य किस प्रकार और कहाँ उपयोग करते थे यह तो नहीं कह सकते, पर आज भी दुनिया भर में कंप्यूटर वैज्ञानिक मानते है कि आधुनिक समय में संस्कृत व्याकरण सभी कंप्यूटर की समस्याओं को हल करने में सक्षम है।

व्याकरण के इस महनीय ग्रन्थ मे पाणिनि ने विभक्ति-प्रधान संस्कृत भाषा के 4000 सूत्र बहुत ही वैज्ञानिक और तर्कसिद्ध ढंग से संगृहीत हैं।

NASA के वैज्ञानिक Mr. Rick Briggs.ने अमेरिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) और पाणिनी व्याकरण के बीच की शृंखला खोज की। प्राकृतिक भाषाओं को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए अनुकूल बनाना बहुत मुस्किल कार्य था जब तक कि Mr. Rick Briggs. द्वारा संस्कृत के उपयोग की खोज न गयी।
उसके बाद एक प्रोजेक्ट पर कई देशों के साथ करोड़ों डॉलर खर्च किये गये।

महर्षि पाणिनि शिव जी बड़े भक्त थे और उनकी कृपा से उन्हें महेश्वर सूत्र से ज्ञात हुआ जब शिव जी संध्या तांडव के समय उनके डमरू से निकली हुई ध्वनि से उन्होंने संस्कृत में वर्तिका नियम की रचना की थी।
तथा इन्होने महादेव की कई स्तुतियों की भी रचना की |

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।
उद्धर्त्तुकामो सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्॥  -माहेश्वर सूत्र
 
पाणिनीय व्याकरण की महत्ता पर विद्वानों के विचार:

"
पाणिनीय व्याकरण मानवीय मष्तिष्क की सबसे बड़ी रचनाओं में से एक है" (लेनिन ग्राड के प्रोफेसर टी. शेरवात्सकी)।
"
पाणिनीय व्याकरण की शैली अतिशय-प्रतिभापूर्ण है और इसके नियम अत्यन्त सतर्कता से बनाये गये हैं" (कोल ब्रुक)।
"
संसार के व्याकरणों में पाणिनीय व्याकरण सर्वशिरोमणि है... यह मानवीय मष्तिष्क का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अविष्कार है" (सर डब्ल्यू. डब्ल्यू. हण्डर)।
"
पाणिनीय व्याकरण उस मानव-मष्तिष्क की प्रतिभा का आश्चर्यतम नमूना है जिसे किसी दूसरे देश ने आज तक सामने नहीं रखा"। (प्रो. मोनियर विलियम्स)




जन्मपत्रिका बनवाएं

                         जन्मपत्रिका बनवाएं


यदि आप जन्म-पत्रिका बनवाना चाहते हैं या अपनी जन्म-पत्रिका का विश्लेषण करवाना चाहते हैं तो आप मुझसे  ई-मेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। हमारे यहां जन्म-पत्रिका निर्माण,जन्म-पत्रिका विश्लेषण, जन्म-पत्रिका मिलान,अंक ज्योतिष,लाल किताब के
अनुसार ग्रह शांति आदि का कार्य किया जाता है।

हमारा ई-मेल पता है- shashankshekharshulba@yahoo.com
CELL   :+91-7408512867

संक्षिप्त/लघु जन्मपत्रिका में आप पाएंगे-

१.लग्न कुण्डली
२.नवमांश कुण्डली
३.चन्द्र कुण्डली
४.भाव चलित कुण्डली
५..नवग्रह फलित
६.जन्मकुण्डली के मुख्य योग
७.विंशोत्तरी दशावर्णन
८.विंशोत्तरी दशाफल
९.साढ़ेसाती व ढ़ैय्या विवेचन
१०.ग्रह शांति व रत्न परामर्श

विस्तारित/दीर्घ जन्मपत्रिका में आप पाएंगे इसके अतिरिक्त -

१.वर्ग कुण्डलियां
२.सुदर्शन विचार
३.अष्टकवर्ग
४.सर्वाष्टकवर्ग
५.ग्रहबल व ग्रहावस्थाएं
६.योगिनी दशावर्णन
७.योगिनी दशाफल
८.मैत्री विचार
९.वर्षफल
१०.गोचर फलित
११.अंक ज्योतिष फलित

संपर्क हेतु हमारा ई-मेल पता है- shashankshekharshulba@yahoo.com

शुल्क-
लघु जन्म-पत्रिका के लिए ११०० रू. एवं विस्तारित जन्म-पत्रिका के लिए २१०० रू. मात्र (डाक व्यय अतिरिक्त) का शुल्क अग्रिम देय होगा। जन्मपत्रिका विश्लेषण एवं  परामर्श शुल्क ५०१ रू.अग्रिम देय होगा।
(
व्यक्तिगत भेंट के लिए पहले समय लेना आवश्यक है। व्यक्तिगत परामर्श में केवल एक ही समस्या पर बात होगी। जन्म-पत्रिका निर्माण करवाने वालों के लिए व्यक्तिगत भेंट निःशुल्क रहेगी।)

निर्धारित प्रारूप-
जन्म-पत्रिका बनवाने के लिए आपको दिए गए प्रारूप में अपनी जानकारी देना अनिवार्य है।     

                         

                                                     
प्रारूप

१.    जातक/जातिका का  नाम---------------------------------------------------------
२.    जन्म दिनांक---------दिन--------माह-----------वर्ष
३.    जन्म समय----------------घंटा------मिनिट------------ ए.एम/पी.एम------
४.    जन्म स्थान-----------------जिला------------------- प्रदेश---------------
५.    पता------------------------------------------------------------------------------
६.    दूरभाष/मोबाईल     नं.-----------------------------------------------------------
७.    ई मेल---------------------------------------------------------------------------
८.    जन्म-पत्रिका का प्रकार-     लघु/विस्तारित--------------------------------------
९.    प्राप्ति माध्यम- ईमेल/डाक/कोरियर/व्यक्तिगत-----------------------------------

(
डाक व कोरियर द्वारा जन्म-पत्रिका मंगवाने पर डाक व्यय अलग से     देय होगा व पत्रिका की प्राप्ति की हमारी  कोई


जिम्मेवारी नहीं होगी।)

  
हमारा ई-मेल पता है- shashankshekharshulba@yahoo.com                                            


हिन्दी वर्णमाला

वर्ण-माला संस्कृत में हर अक्षर, स्वर और व्यंजन के संयोग से बनता है, जैसे कि  “ क ”  याने क् (हलन्त) अधिक अ ।  “ स्वर ”  सूर/लय सूचक है...