Tuesday, May 16, 2017

नक्षत्र

नक्षत्र
तारे हमारे सौर जगत् के भीतर नहीं है । ये सूर्य से बहुत दूर हैं और सूर्य की परिक्रमा न करने के कारण स्थिर जान पड़ते हैंअर्थात् एक तारा दूसरे तारे से जिस ओर और जितनी दूर आज देखा जायगा उसी ओर और उतनी ही दूर पर सदा देखा जायगा । इस प्रकार ऐसे दो चार पास-पास रहनेवाले तारों की परस्पर स्थिति का ध्यान एक बार कर लेने से हम उन सबको दूसरी बार देखने से पहचान सकते हैं । पहचान के लिये यदि हम उन सब तारों के मिलने से जो आकार बने उसे निर्दिष्ट करके समूचे तारकपुंज का कोई नाम रख लें तो और भी सुभीता होगा । नक्षत्रों का विभाग इसीलिये और इसी प्रकार किया गया है।
चंद्रमा २७-२८ दिनों में पृथ्वी के चारों ओर घूम आता है । खगोल में यह भ्रमणपथ इन्हीं तारों के बीच से होकर गया हुआ जान पड़ता है । इसी पथ में पड़नेवाले तारों के अलग अलग दल बाँधकर एक एक तारकपुंज का नाम नक्षत्र रखा गया है । इस रीति से सारा पथ इन २७ नक्षत्रों में विभक्त होकर 'नक्षत्र चक्र' कहलाता है । नीचे तारों की संख्या और आकृति सहित २७ नक्षत्रों के नाम दिए जाते हैं
नक्षत्र -- तारासंख्या -- आकृति और पहचान
1. अश्विनी -- ३ -- घोड़ा
2. भरणी -- ३ -- त्रिकोण
3. कृत्तिका -- ६ -- अग्निशिखा
4. रोहिणी -- ५ -- गाड़ी
5. मृगशिरा -- ३ -- हरिणमस्तक वा विडालपद
6. आर्द्रा -- १ -- उज्वल
7. पुनर्वसु ५ या ६ धनुष या धर
8. पुष्य -- १ वा ३ -- माणिक्य वर्ण
9. अश्लेषा -- ५ -- कुत्ते की पूँछ वा कुलावचक्र
10.              मघा -- ५ -- हल
11.              पूर्वाफाल्गुनी -- २ -- खट्वाकार X उत्तर दक्षिण
12.              उत्तराफाल्गुनी -- २ -- शय्याकारX उत्तर दक्षिण
13.              हस्त -- ५ -- हाथ का पंजा
14.              चित्रा -- १ -- मुक्तावत् उज्वल
15.              स्वाती -- १ -- कुंकुं वर्ण
16.              विशाखा -- ५ व ६ -- तोरण या माला
17.              अनुराधा -- ७ -- सूप या जलधारा
18.              ज्येष्ठा -- ३ -- सर्प या कुंडल
19.              मुल -- ९ या ११ -- शंख या सिंह की पूँछ
20.              पुर्वाषाढा -- ४ -- सूप या हाथी का दाँत
21.              उत्तरषाढा -- ४ -- सूप
22.              श्रवण -- ३ -- बाण या त्रिशूल
23.              धनिष्ठा -- ५ -- मर्दल बाजा
24.              शतभिषा -- १०० -- मंडलाकार
25.              पूर्वभाद्रपद -- २ -- भारवत् या घंटाकार
26.              उत्तरभाद्रपद -- २ -- दो मस्तक
27.              रेवती -- ३२ -- मछली या मृदंग
इन २७ नक्षत्रों के अतिरिक्त 'अभिजित्' नाम का एक और नक्षत्र पहले माना जाता था पर वह पूर्वाषाढ़ा के भीतर ही आ जाता है, इससे अब २७ ही नक्षत्र गिने जाते हैं । इन्हीं नक्षत्रों के नाम पर महीनों के नाम रखे गए हैं । महीने कीपूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र पर रहेगा उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के अनुसार होगा, जैसे कार्तिक की पूर्णिमा को चंद्रमा कृत्तिका वा रोहिणी नक्षत्र पर रहेगा, अग्रहायण की पूर्णिमा को मृगशिरा वा आर्दा पर; इसी प्रकार और समझिए।
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नाम
देवता
पाश्चात्य नाम
मानचित्र
स्थिति
1
β and γ Arietis
00AR00-13AR20
2
भरणी (Bharanī)
शुक्र (Venus)
3539, and 41 Arietis
13AR20-26AR40
3
रवि (Sun)
26AR40-10TA00
4
रोहिणी (Rohinī)
10TA00-23TA20
5
मॄगशिरा (Mrigashīrsha)
λ, φ Orionis
23TA40-06GE40
6
आद्रा (Ārdrā)
06GE40-20GE00
7
Castor and Pollux
20GE00-03CA20
8
पुष्य (Pushya)
शनि (Saturn)
γδ and θ Cancri
03CA20-16CA40
9
अश्लेशा (Āshleshā)
बुध (Mercury)
δ, ε, η, ρ, and σ Hydrae
16CA40-30CA500
10
मघा (Maghā)
00LE00-13LE20
11
शुक्र (Venus)
δ and θ Leonis
13LE20-26LE40
12
26LE40-10VI00
13
हस्त (Hasta)
αβγδ and ε Corvi
10VI00-23VI20
14
चित्रा (Chitrā)
23VI20-06LI40
15
स्वाती (Svātī)
06LI40-20LI00
16
विशाखा (Vishākhā)
αβγ and ι Librae
20LI00-03SC20
17
अनुराधा (Anurādhā)
βδ and π Scorpionis
03SC20-16SC40
18
ασ, and τ Scorpionis
16SC40-30SC00
19
मूल (Mūla)
ε, ζ, ηθ, ι, κλμ and ν Scorpionis
00SG00-13SG20
20
पूर्वाषाढा (Pūrva Ashādhā)
δ and ε Sagittarii
13SG20-26SG40
21
उत्तराषाढा (Uttara Ashādhā)
ζ and σ Sagittarii
26SG40-10CP00
22
श्रवण (Shravana)
αβ and γ Aquilae
10CP00-23CP20
23
α to δ Delphinus
23CP20-06AQ40
2
4शतभिषा (Shatabhishaj)
राहु
06AQ40-20AQ00
25
α and β Pegasi
20AQ00-03PI20
26
03PI20-16PI40
27
रेवती (Revatī)
ζ Piscium
16PI40-30PI00


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